सर्वाइकल कैंसर रोकथाम और जागरूकता की दिशा में एक कदम
सर्वाइकल कैंसर रोकथाम और जागरूकता की दिशा में एक कदम
भारत के महिलाओं में होने वाली सबसे आम कैंसर सर्वाइकल कैंसर है। सर्वाइकल कैंसर का बचाव और इलाज दोनों हो सकता है। लेकिन इसके प्रति महिलाओं में जागरुकता कम होने की वजह से, डॉक्टरों को सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती है और इलाज मिलपाना मुश्किल हो जाता है। आंकड़े बताते हैं, 2024 में भारत में, महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में से लगभग 6-29% कैंसर गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का होता है.
सर्वाइकल कैंसर क्या है?
किसी भी कैंसर में आपके शरीर की कोशिकाएं असामान्य और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है। कैंसर को हमेशा शरीर के उस अंग के नाम से जाना जाता है, जहां कैंसर शुरू होता है। इसिलिए, जब कैंसर आपके गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है, तो उसे गर्भाशय ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। इस कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है।
सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय(यूट्रस) के सबसे नीचे के भाग का घातक ट्यूमर होता है, जो गर्भाशय के निचले भाग से शुर होता है और उपरी वेजाइना तक जुड़ता है, जिसे गर्भाशय ग्रीवा कहते हैं। ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस(HPV) के संक्रमण के कारण होता है।
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस(HPV) वायरस का एक समूह है, जिसके 100 से ज्यादा प्रकार है और लगभग 30 प्रकार लैंगिक क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से 14 कैंसर पैदा करने वाले हैं, जिन्हें हाई रिस्क एचपीवी के श्रेणी में रखा गया है। इस वायरस के दो प्रकार 70 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर और सर्वाइकल घावों का कारण बनते हैं। इस वायरस को लिंग, गुदा, योनी और ऑरोफरीनक्स के कैंसर के सबूत भी प्राप्त है।
सर्वाइकल कैंसर के कारण क्या है?
सर्वाइकल कैंसर के निम्नलिखित कारण है, जो इसके जोखिम को बढ़ाते हैं:-
- ह्यूमन पेपिलोमा वायरस(HPV) – यह एक यौन संचारित वायरस है, जिसके 100 से ज्यादा प्रकार में लगभग 14 प्रकार सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं।
- असुरक्षित यौन संबंध – एचपीवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से यह फैलता है। साथ ही जो महिलाएं एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बना चुकी हैं या जो कम उम्र में यौन संबंध बना चुकी है, उसमें सर्वाइकाल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है।
- गर्भधारण – जो महिलाएं तीन या तीन से ज्यादा बच्चों को जन्म दे चुकी है, उनमें इस कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है।
- गर्भनिरोधक गोलियां – ज्यादा समय तक गर्भ निरोधक गोलियों का प्रयोग करने से भी कैंसर के जोखिम को बढ़ावा मिलता है।
- यौन संचारित बीमारियां – सिफलिस, गोनोरिया या क्लैमाइडिया से संक्रमित हो चुकी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है।
- धूम्रपान करना
- ज्यादा समय तक तनाव ग्रस्त रहना
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या है?
सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती दौर में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे यह गंभीर होने लगता है, इसके लक्षण दिखने लगते हैं। निम्न से में किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर आप सर्वाइकल कैंसर की पहचान कर के, डॉक्टर से परामर्श करें:-
- पैर में सूजन होना ।
- संभोग के दौरान दर्द महसूस होना।
- अनियमित पीरियड्स आना।
- ज्यादा रक्तस्राव होना।
- यूरीन पास करने में परेशानी होना।
- पैल्विक दर्द जो पीरियड्स से जुड़ा नहीं होता है।
- किडनी फेलियर।
- वजन कम हो जाना।
- भूख में कमी।
- बेवजह थकान लगना।
- हड्डियों में दर्द होना।
यह लक्षण किसी और स्वास्थ्य समस्याओं के भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
सर्वाइकल कैंसर का इलाज क्या है?
सर्वाइकल कैंसर का उपचार संभव है। यदि पहले सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों का पता चल जाता है, तो इसका इलाज किया जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:-
सर्जरी – गर्भाशय ग्रीवा कैंसर को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है। यह कैंसर कहां पर और कितना फैला हुआ है, यह पता चलने के बाद सर्वाइकल कैंसर सर्जरी के प्रकार को निर्धारित किया जाता है। साथ में यह भी पता किया जाता है कि सर्जरी के बाद आप गर्भधारण करना चाहती है या नहीं।
रेडिएशन थेरेपी – इसमें हाई-एनर्जी एक्स-रे बीम का प्रयोग कर के कैंसर कोशिकाओं का हटाया जाता है। यह कैंसर के कुछ चरणों में उपयोग किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग अन्य उपचार तकनीक के साथ संयोजन में किया जाता है।
कीमोरेडिएशन – किमोरेडिएशन में कीमोथेरेपी और रेडिएशन दोनों का संयोजन होता है।
कीमोथेरेपी – इसमें शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। इसमें दवाओं का उपयोग चरणों में किया जाता है, ताकि दवाओं को शरीर में काम करने के लिए समय मिल सके।
सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे करें?
सर्वाइकल कैंसर को एचपीवी वैक्सीनेशन और आधुनिक स्क्रीनिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर के रोका जा सकता है। इसकी वैक्सीन 9 से 26 साल के लड़कियों के लिए उपलब्ध है। पैप स्मीयर टेस्ट और एचपीवी स्क्रीनिंगद के साथ सर्वाइकल स्क्रीनिंग सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए बहुत जरूरी है।
इलाज के विकल्प
सर्वाइकल कैंसर का इलाज उसकी अवस्था पर निर्भर करता है। शुरुआती चरण में सर्जरी और रेडियोथेरेपी प्रभावी होती है। उन्नत चरणों में कीमोथेरेपी के साथ रेडियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है।
रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट की सेवाएं
बरेली स्थित रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट सर्वाइकल कैंसर के निदान और उपचार के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करता है। हमारे यहां अनुभवी डॉक्टरों की टीम पैप स्मियर टेस्ट, कोल्पोस्कोपी, एचपीवी वैक्सीन और कैंसर उपचार के अन्य विकल्प उपलब्ध कराती है।
जागरूकता की भूमिका
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता और नियमित स्क्रीनिंग ही इससे बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। यदि किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
आपकी सेहत, हमारी प्राथमिकता।
रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट का लक्ष्य है कि हर महिला स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सके। हमारे साथ मिलकर इस लड़ाई में एक कदम आगे बढ़ाएं।
अधिक जानकारी और परामर्श के लिए, आज ही हमसे संपर्क करें।
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